Gurugram Land Scam हरियाणा में मंत्रिमंडल का फर्जी पत्र तैयार कर गुरुग्राम में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एसएसवीपी) की 50 एकड़ जमीन हड़पने की कोशिश (Haryana Land Scam) करने वालों के खिलाफ सीएम नायब सैनी ने एसआईटी का गठन किया है। इसमें लोकल पुलिस को शामिल नहीं किया गया बल्कि पंचकूला क्राइम ब्रांच की पुलिस को रखा गया है। जमीन की कीमत 500 करोड़ आंकी जा रही है।
छह से ज्यादा लोग लिए गए हिरासत में
पूछताछ के लिए छह से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। मंत्रिमंडल का फर्जी नोट बनाने से लेकर जमीन रिलीज कराने की प्रक्रिया में लाइजनरों (दलालों) व प्रापर्टी डीलरों का बड़ा रोल है। मुख्य सचिव कार्यालय की कैबिनेट ब्रांच, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग और गुरुग्राम के अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता बताई जा रही है। फर्जी पत्र के आधार पर गुरुग्राम के राजीव चौक, बादशाहपुर और घासौला की जमीन रिलीज कराकर पंजीकृत कराई जाने वाली थी।
फर्जी पत्र से करना चाह रहे थे धांधली
मंत्रिमंडल के फर्जी नोट के क्रम संख्या छह और सात पर गुरुग्राम के घासौला की आठ एकड़ जमीन का रिकॉर्ड सही पाया जा चुका है। यह जमीन गुरुग्राम के सेक्टर 49 में पड़ती है, जहां 10 से 15 करोड़ रुपये प्रति एकड़ का रेट है। पुलिस और सीआइडी द्वारा जुटाई गई प्राथमिक सूचना के मुताबिक अभी तक इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड गुरुग्राम के गांव झाडसा का रहने वाला महेंद्र है, जो कि दलाली करता है। वह जमीनों के कागज अटेस्ट कराने का काम भी देखता है।
कौन है मास्टरमाइंड?
कैथल के कलायत का एक व्यक्ति भी मास्टरमाइंड की भूमिका में बताया जा रहा है। मंत्रिमंडल के फर्जी पत्र में दर्ज गुरुग्राम की बाकी दो साइटों की भी सीआइडी व पुलिस अपने स्तर पर जांच करा रही है। पंचकूला में दर्ज एफआइआर में जमीन का खसरा नंबर बादशाहपुर व राजीव चौक के साथ घासौला का बताया गया है। सरकार ने गुरुग्राम के जिला उपायुक्त के माध्यम से घासौला का पूरा रिकॉर्ड मंगवा लिया है। बाकी दोनों स्थानों पर मौजूद जमीन की जानकारियां जुटाने में टीम लगी है।
यह है मंत्रिमंडल के फर्जी नोट का पूरा मामला
जमीन का गोलमाल करने वालों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का फर्जी पत्र तैयार किया था। मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने अपने कार्यालय की शाखा के कर्मचारियों को तलब किया तो पता चला कि मनोहर मंत्रिमंडल का यह पत्र फर्जी है। मुख्य सचिव ने जमीन रिकॉर्ड के डायरेक्टर (डीएलआर) को पंचकूला में केस दर्ज कराने के आदेश दिए।
पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर पूरे मामले की जांच आरंभ कर दी है। पत्र में कैबिनेट ब्रांच के अधीक्षक का हस्ताक्षर भी फर्जी किया गया था। इस पत्र में 15 और 21 दिसंबर 2023 की तारीख लिखी हुई है, जबकि इस दौरान कोई कैबिनेट बैठक हुई ही नहीं थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में नवंबर महीने में कैबिनेट बैठक हुई थी।
इस फर्जीवाड़े का खुलासा कैबिनेट नोट पढ़ने के बाद हुआ, जिसमें दर्ज भाषाई नोट में मुख्यमंत्री और एफसीआर (वित्तायुक्त) दोनों के पद लिखे गए थे, जबकि कैबिनेट मीटिंग के सिस्टम में कैबिनेट मीटिंग का नोट वरिष्ठता के हिसाब से लिखा जाता है, लेकिन उसमें उसके विपरीत लिखा गया था।