HARYANA VRITANT

खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी से ही हारिस फारूकी और अनुराग सिंह की बांग्लादेश से सीमा पार करने के बाद बुधवार को असम के धुबरी जिले में गिरफ्तारी संभव हो सकी है। फारूकी देहरादून के चकराता का रहने वाला है। दोनों खूंखार आइएस आतंकियों को एनआइए को सौंप दिया गया है। बता दें कि अनुराग रेलवे में सेक्शन ऑफिसर के पद पर तैनात था।

असम में गिरफ्तार आतंकी संगठन आइएस (ISIS India head Haris Farooqi) के भारत प्रमुख हारिस फारुकी के साथ पकड़ा गया दूसरा आतंकी अनुराग सिंह उर्फ रेहान पानीपत का रहने वाला है। उसका परिवार 25 वर्षों से दिल्ली के रोहिणी में रह रहा है। स्वजन का कहना है कि 12वीं कक्षा पास करने के बाद अनुराग कोटा में आइआइटी की कोचिंग लेने गया था।

अनुराग से बना रेहान

आशंका है कि वहीं वह आइएस के संपर्क में आया। वह रेलवे में सेक्शन इंजीनियर के रूप में कार्यरत है। उसका बड़ा भाई चिराग इस्पात मंत्रालय में कार्यरत है। उन्हें नहीं पता कि अनुराग कब रेहान बन गया? उसके पकड़े जाने की सूचना पर ही स्वजन को धर्म परिवर्तन का भी पता चला। बांग्लादेश की महिला से विवाह करने के बारे में भी अभी पता चला है।

अनुराग मेरा बेटा नहीं

दिल्ली में रह रही अनुराग की मां सरोज से मोबाइल बात की तो उन्होंने कहा कि अनुराग मेरा बेटा नहीं है। दिवाना गांव में रह रहे परिवार में लगते अनुराग के चाचा महराम ने बताया कि अनुराग के पिता मनबीर पेशे से वकील थे। उनका 1992 में निधन हो गया था।

उसके पांच महीने बाद अनुराग पैदा हुआ था। अनुराग जब छठी कक्षा में था तब उसकी मां सरोज अपने बड़े बेटे चिराग और छोटे बेटे अनुराग को लेकर सोनीपत चली गई थी। वे दिल्ली के रोहिणी में रहने लगे।

गांव में है करीब आठ एकड़ जमीन

गांव में उनकी करीब आठ एकड़ जमीन है, जिनको ठेके पर देने के लिए हर साल सरोज अपने बड़े बेटे के साथ गांव आती है। गांव में पुस्तैनी मकान को उन्होंने किराये पर दिया हुआ है। चिराग और अनुराग पढ़ाई में अव्वल रहते थे। अनुराग गांव में 26 वर्ष में चार से पांच बार ही आया है। वह आतंकी संगठन आइएस से जुड़ा रहा, लेकिन उसने भनक तक नहीं लगने दी।

अनुराग की पत्नी बांग्लादेशी है और उसके पास बांग्लादेश की नागरिकता भी है, इस बारे में अनुराग ने किसी को भी पता नहीं चलने दिया। वह कब इस्लाम से जुड़ा, कब आतंकी संगठन के लिए काम करने लगा, इस बारे में परिवार के लोगों को कोई जानकारी नहीं है। यहां तक की गांव में भी इस बारे में किसी को पता नहीं था।