HARYANA VRITANT

अंबाला। कोच संजय कुमार का खिलाड़ी से लेकर बॉक्सिंग काेच बनने का सफर बहुत ही रोचक है। अपने 27 साल के सफर में संजय कुमार ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

खिलाड़ी से लेकर बॉक्सिंग काेच बनने का सफर बहुत ही रोचक है।

इसके बाद खेल कोटे से सेना में सिपाही के पद पर नौकरी की। जबलपुर में पांच साल तक कोचिंग की ट्रेनिंग ली। इसके बाद पटियाला स्थित एनआईएस में डिप्लोमा कर कोच बने और मौजूदा समय में अंबाला छावनी के वार हीरोज स्टेडियम में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे है। उनके द्वारा दिए प्रशिक्षण के कारण दो खिलाड़ी सेना में नौकरी कर रहे हैं।

बॉक्सर के भाई ने संजय को किया था प्रेरित…

संजय कुमार ने बताया कि वह गांव कालेवास जिला भिवानी के निवासी हैं। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बॉक्सर बिजेंद्र सिंह और उनका बड़ा भाई मनोज दोनों ही उनके गांव के निवासी है, वह दोनों भाई भिवानी के वैश्य कॉलेज में बॉक्सिंग सीखते थे। वर्ष 1997 में संजय कुमार ने भी वैश्य कॉलेज में बॉक्सिंग सीखनी शुरू की और 15 दिन सीखने के बाद बंद कर दी। एक दिन संजय कुमार को बिजेंद्र का बड़ा भाई मनोज गांव में मिला। इसके बाद मनोज ने संजय को बताया कि बॉक्सिंग के बल पर खिलाड़ी दूसरे देशाें में खेलने जाते हैं। खेल के जरिए सरकारी नौकरी भी लग जाती है। यह सुनने के बाद संजय कुमार ने बॉक्सिंग सीखना दोबारा से शुरु कर दिया।

1999 में संजय ने जीता पहला स्वर्ण…

इसके बाद संजय कुमार ने वर्ष 1998 में बारहवीं पास की और बॉक्सिंग पर अपना ध्यान केंद्रित किया। नतीजा यह निकला की एक साला बाद 1999 में इंटर कॉलेज चैंपियनशिप में संजय कुमार ने स्वर्ण पदक जीता। इसी साल ही उन्होंने राज्य स्तर पर खेलकर कांस्य पदक प्राप्त किया। एक साल बाद सन 2000 में उन्होंने ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप खेली, लेकिन उसमें कोई पदक नहीं आया। इसके एक साल बाद 2001 में संजय ने इंटर कॉलेज चैंपियनशिप खेलकर स्वर्ण पदक जीता, सन 2001 में ही ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

खेल कोटे से हुए थे सेना में भर्ती…

सन 2001 में संजय कुमार खेल कोटे से सेना में सिपाही के पद पर नियुक्त हुए थे। इस दौरान उन्होंने जबलपुर में पांच साल तक कोचिंग ली। वहीं सन 2009-10 में उन्होंने पटियाला स्थित एनआईएस से डेढ़ साल का डिप्लोमा किया। करीब 17 साल की देश की सेवा करने के बाद वह 2018 में सेवानिवृत्त हो गए।