HARYANA VRITANT

अंबाला। हरियाणा भारत के अन्य राज्यों की तुलना में कम वनों से आच्छादित क्षेत्र है, मगर जैव विविधता को संरक्षण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जहां उत्तर हरियाणा में शिवालिक पर्वत शृंख्ला, दक्षिण हरियाणा में अरावली पर्वत शृंखला न केवल विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों और जीव जंतुओं के संरक्षण देती है।

हरियाणा का लगभग 20 फीसदी वन क्षेत्र संरक्षित है

हरियाणा का लगभग 20 फीसदी वन क्षेत्र संरक्षित है, जिसमें गुरुग्राम के पास सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान और यमुनानगर में कलेसर राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं। भारतीय वन सेवा में अधिकारी और पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार बताते हैं कि हरियाणा में जैव विविधता के लिए मुख्य चुनौती कृषि के विकास के कारण वन क्षेत्र का डायवर्जन होना और बढ़ता शहरीकरण, उससे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर का होना है।

यह हैं जैव विविधता के प्रभावित होने कारण…

डॉ. सुनील कुमार बताते हैं कि जैव विविधता के वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ साथ स्पीशीज मैनेजमेंट के बारे में कम ज्ञान का होना भी प्रजातियों के लुप्त होने का एक मुख्य कारण है। इसके साथ साथ सड़कों के बढ़ते नेटवर्क के कारण भारी संख्या में लाइनर फॉरेस्ट का कटाई में चला जाना, जहां सड़क के दोनों साइड पहले विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों की लाइनें होती थी अब वही नागरिकों की बढ़ती मांग के कारण विभिन्न प्रकार के रेस्टोरेंट, ढाबे मनोरंजन पार्क आदि बना दिए गए हैं। जिसके कारण जैवविविधता में कमी आना स्वाभाविक है। हरियाणा में हवा प्रतिदिन प्रदूषित हो रही है। जिसका मुख्य कारण बढ़ते हुए वाहनों की संख्या, फसल जलाने से संबंधित परंपरा और कम होते पेड़-पौधे हैं।

हरियाणा सरकार की तरफ से पहल…

हरियाणा का वन विभाग जैव विविधता के संरक्षण और पौधारोपण की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कई योजनाएं लागू कर रहा है। जब जल शक्ति अभियान की ओर से जहां ग्राम पंचायतों में पौधारोपण को बढ़ावा किया जा रहा है। वहीं, पौधगिरी जैसी पहल की ओर से स्कूली बच्चों को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ साथ समाज के अन्य लोगों को मानसून सत्र में पौधों की सप्लाई मुफ्त की जाती है। शहरी क्षेत्रों को ग्रीन बेल्ट में पौधारोपण की ओर से हरा-भरा किया जा रहा है।

75 वर्ष से अधिक पुराने स्वस्थ पेड़ों के संरक्षण के लिए वार्षिक पेंशन प्रदान करती है। इससे पुराने पेड़ों का संरक्षण बढ़ाया जा रहा है। वन मित्र योजना गैर-वन भूमि पर पौधारोपण गतिविधियों में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करती है, जिससे पूरे हरियाणा में वृक्ष आवरण बढ़ाने में स्थानीय समुदायों को सीधे तौर पर शामिल किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त संरक्षण और प्रजनन प्रयासों के माध्यम से लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे ब्लैकबक, चिंकारा, गिद्ध, भारतीय नरम-कछुए प्रजातियों को संरक्षित किया जा रहा है।

इस बार का थीम, बी-पार्ट ऑफ द प्लान…

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस हर वर्ष 22 मई को मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन कन्वेन्शन श्रद्घ बायोडायवर्सिटी बाईस मई 1992 को अपनाया गया था। इस वर्ष इसकी थीम, बी पार्ट ऑफ द प्लान है। इसमें समाज के सभी व्यक्तियों से से अपील की गई है कि जैव विविधता को कम करने वाले कारणों को दूर किया जाए हर जगह विविधता का संरक्षण किया जाए। इस वर्ष की थीम का उद्देश्य है कि समाज के विभिन्न संगठन जैसे कि सरकारी संस्थाएं प्राइवेट संस्थान सामाजिक संगठन समाज के व्यक्ति में जैव विविधता संबंधी विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता हर स्तर पर लाने का प्रयास करें।