HARYANA VRITANT

अंबाला। रेलवे के आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं। सख्ती में ढिलाई बरती जा रही है। इस कारण आरक्षित कोचों में फिर से जनरल टिकट यात्रियों ने कब्ज शुरु कर दिया है जोकि कंफर्म टिकट यात्रियों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। ऐसे हालात अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर आने वाली आम्रपाली एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों में देखे जा सकते हैं।

सांकेतिक तस्वीर

नियमों की पालना करने वाले वाणिज्य विभाग और आरपीएफ के कर्मचारी नदारद हैं। सोमवार दोपहर लगभग एक बजे प्लेटफार्म 2 पर आई आम्रपाली एक्सप्रेस को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि जो आदेश रेलवे ने कंफर्म टिकट यात्रियों को राहत पहुंचाने और आरक्षित कोचों से भीड़ कम करने के लिए जारी किए थे, वो शायद कुछ ही धरातल पर उतर पाए।

जबकि रेलवे ने भी खाली कोच की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालकर वाहवाही लूटी जोकि कुछ दिनों के लिए ही रही। अब ऐसे ही हालात ट्रेनों आरक्षित कोचों में देखने को मिल रहे हैं। पिछले रेलवे स्टेशन से ही जनरल टिकट के यात्री आरक्षित कोच में चढ़कर सीटों पर कब्जा जमा लेते हैं और फिर उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं होता क्योंकि श्रमिकों से भरी इस ट्रेन में टिकट निरीक्षक भी चढ़ने से परहेज करते हैं।

सोशल मीडिया पर रोष जता रहे यात्री

ऐसे ही कई शिकायतें रोजाना रेलवे बोर्ड, मंत्री और मंडल रेल प्रबंधक तक पहुंच रही हैं। कंफर्म टिकट यात्री कोच में घुसे जनरल टिकट यात्रियों की फोटो खींचकर अपलोड कर रेलवे को अव्यवस्थाओं का आइना दिखा रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से भेजी शिकायतों पर रेलवे जवाब दे रहा है कि समस्या को समाधान के लिए संबंधित विभाग को भेज दिया है, लेकिन यह समस्या ट्रेन के अंतिम रेलवे स्टेशन पर पहुंचने तक बनी रहती है।

बीच रास्ते के दर्जनों रेलवे स्टेशन गुजर जाते हैं, लेकिन न तो वाणिज्य विभाग के कर्मचारी इन आरक्षित कोचों से जनरल टिकट यात्रियों को उतारने की कोशिश करते हैं और न ही आरपीएफ। क्योंकि उनका सीधा और स्पष्ट बहाना होता है कि ट्रेन का मात्र तीन से पांच मिनट का ठहराव है। ऐसे में सभी आरक्षित कोचों से बिना टिकट यात्रियों को निकालना काफी मुश्किल है।

मंडल रेल प्रबंधक ने दिए थे निर्देश

अंबाला रेल मंडल के प्रबंधक मंदीप सिंह भाटिया ने निर्देश दिए थे कि आरक्षित कोच और दिव्यांग एवं महिला कोच में सफर करने वाले अनधिकृत यात्रियों की धरपकड़ की जाए और अधिकृत यात्रियों को ही इन कोचों में प्रवेश की अनुमति दी जाए। कुछ दिनों तक तो यह कार्रवाई जोरों-शोरों से चली, लेकिन अब यह ठंडे बस्ते में चली गई है।