अंबाला सिटी। मंडियों में गेहूं हजारों क्विंटल पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक गेहूं का उठान पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए सोमवार को आढ़तियों ने रोष व्यक्त किया और मार्केट कमेटी सचिव के कार्यालय में इक्कट्ठे हुए। जहां पर तहसीलदार अंबाला शहर अशोक भी पहुंचे और आढ़तियों से उनकी समस्या के बारे में पूछा।
इसके बाद आढ़ती अपनी समस्या लेकर डीसी अंबाला डॉ. शालीन के पास भी पहुंचे। जहां पर डीसी ने आढ़तियों को आश्वासन दिया कि गोदामों में जगह और स्पेशल ट्रेन के रैक बढ़ाने के लिए जीएम से बात करेंगे। आढ़तियों का कहना है कि अंबाला शहर नई अनाज मंडी में लाखों बोरियां गेहूं की हैं, लेकिन अभी तक उनका उठान नहीं हुआ।
आढ़तियों का कहना है कि एजेंसियों की ओर से स्पेशल ट्रेन तो लगाती है, लेकिन शहर अनाज मंडी के लिए डिब्बे बहुत कम मिलते हैं। जबकि पहले पूरी ट्रेन ही शहर की नई अनाज मंडी को मिलती थी, लेकिन अब सिर्फ कुछ ही डिब्बे मिल पा रहे है। इससे समय पर उठान पूरा नहीं हो पा रहा है। उठान न होने के कारण किसानों को भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। आढ़तियों का कहना है कि मंडियों में अभी भी 3 लाख 15 हजार बोरियों हैफेड और 40 हजार बोरियां डीएफसी की पड़ी है।
गेहूं उतारने के लिए श्रमिक कम…
राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान संजीव गर्ग ने बताया कि गेहूं को उतारने के लिए एजेंसी के पास पर्याप्त संख्या में नहीं है। इसके साथ ही खतौली गोदाम में अंबाला शहर नई अनाज मंडी के साथ साथ अन्य मंडियों का गेहूं भी पहुंच रहा है। जबकि शहर नई अनाज मंडी में आवक सबसे अधिक है।
पहले ही करना था इंतजाम…
शहर नई अनाज मंडी प्रधान मक्खन चंद ने बताया कि जब से गेहूं की आवक शुरू हुई थी तब से ही एजेंसी को उठान का पूरा इंतजाम करना चाहिए। लेकिन अब आवक इतनी हो चुकी है कि उठान में देरी होना तय है।
सबसे अधिक आवक शहर में
जिला आढ़ती एसोसिएशन प्रधान धुन्नी चंद ने बताया कि सरकार को चाहिए कि वे गोदामों में सिर्फ अंबाला शहर का गेहूं की भरे।अंबाला शहर नई अनाज मंडी में दूसरी मंडियों में आने वाले गेहूं से अधिक गेहूं आता है, लेकिन इसके बाद भी उठान में तेजी नहीं हो रही है।
किसानों का नहीं हो रहा भुगतान
आढ़ती एसोसिएशन अंबाला के सचिव जगदीश अनेजा ने बताया कि उठान न होने के कारण किसानों का भुगतान समय पर नहीं हो पा रहा है। इसलिए वे बार बार उन्हें फोन कर भुगतान के बारे में पूछ रहे है। अभी तक कई आढ़तियों से 18 अप्रैल का गेहूं भी उठा नहीं है। ऐसे में किसानों को भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।