HARYANA VRITANT

कैथल। आचार संहिता हटने के बाद माता गेट स्थित सूर्यकुंड डेरे में डेढ़ करोड़ रुपये से सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हो जाएगा। यह कार्य कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से करवाया जाएगा। दरअसल, डेरे में स्थित सरोवर का जीर्णोद्धार का कार्य पिछले करीब चार साल से ही लंबित पड़ा है।

सांकेतिक तस्वीर

यहां पर घाट के निर्माण से लेकर शौचालयों का निर्माण करवाया जाना है। इसके साथ ही नहरी पानी की पाइपलाइन के माध्यम से पानी भी शुरू करवाया जाना है। इस निर्माण कार्य के लिए मार्च माह में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की

टीम ने यहां का दौरा का निरीक्षण किया था। इसके बाद मार्च में ही आचार संहिता लगने के कारण निर्माण कार्य की निविदा सूचना जारी नहीं हो पाई है। अब चार जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद जब आचार संहिता हट जाएगी तो इसके निर्माण को लेकर निविदा सूचना जारी की जाएगी।

पाइप लाइन टूटने से सरोवर में नहीं आ रहा पानी…

यहां बने सरोवर में नहरी पानी को लेकर पाइप लाइन तो बिछाई गई है, लेकिन पट्टी अफगान के नजदीक पाइप लाइन टूटने के कारण इसमें नहरी पानी नहीं आ पा रहा है। वर्ष 2017 में सीएम घोषणा के तहत की गई थी। इसके बाद वर्ष 2018 की फरवरी में यहां पर पाइपलाइन बिछाने पर दो करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। पाइपलाइन डालने के बाद एक बार तो सरोवर में पानी आया, लेकिन इसके बाद पिछले छह साल से पानी नहीं आया है। इतने साल बीतने के बावजूद सरोवर में पानी न आने से लोगों में रोष है।

सूर्यकुंड डेरे में डेढ़ करोड़ रुपये से सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य होना है। इस कार्य को लेकर सरकार की काफी बेरुखी रही। इसके बाद सरकार से मांग करने के बाद सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को सौंपा गया है। इसके बाद बोर्ड के सदस्यों ने आचार संहिता लगने से निर्माण कार्य के लिए दौरा किया था। अब आचार संहिता हटने के बाद बोर्ड इसकी निविदा सूचना जारी करेगा। सरकार से मांग करते है कि आचार संहिता हटते ही इसका जल्द ही निर्माण करें।

ऐतिहासिक है सूर्यकुंड मंदिर…

माता गेट स्थित सूर्यकुंड मंदिर महाभारत कालीन है। इस कारण यह ऐतिहासिक मंदिर है। युधिष्ठिर ने पितरों की शांति के लिए कैथल में नवग्रह कुंडों की स्थापना की थी। अब नौ में से चार कुंड लुप्त हो चुके हैं, अब पांच कुंड ही शेष बचे हैं।

इस तीर्थ पर चैत्र नवरात्र और आषाढ़ व ज्येष्ठ महीने के प्रत्येक वीरवार को मेला भी लगाया जाता है। यहां पर माता काली का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है। ऐसे में इस मंदिर में लगने वाले मेले में देशभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं। इस प्राचीन धरोहर में एक सुंदर वाटिका भी बनाई हुई है, जो देखने में काफी भव्य दिखाई देती है। भगवान सूर्यदेव, शनि देवी, भगवान शिव व माता शीतला व काली देवी का मंदिर भी यहां स्थापित है।