Lok Sabha Election 2024 हरियाणा में जब से लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, तभी से कांग्रेस के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है। फरीदाबाद, हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ में टिकट से वंचित दावेदारों ने जहां अपने समर्थकों की बैठकें बुलाकर कांग्रेस हाईकमान के प्रति अपने गुस्से का इजहार कर दिया।
कांग्रेस के टिकटों की घोषणा के साथ ही टिकट के दावेदारों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। राज्य की फरीदाबाद, हिसार, भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां टिकट आवंटन के बाद बाकी दावेदारों की नाराजगी बढ़ गई।
वहीं अब गुरुग्राम में भी स्थिति बिगड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस हाईकमान ने टिकटों के आवंटन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद-नापसंद का पूरा ध्यान रखा है।
हुड्डा से सबसे ज्यादा उनके समधि पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल नाराज हैं। दलाल फरीदाबाद लोकसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे थे। वहां कांग्रेस ने पूर्व राजस्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया है। महेंद्र प्रताप सिंह करीब 20 साल पहले भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को लोकसभा चुनाव में पराजित कर चुके हैं।
हुड्डा हालांकि दलाल को ही फरीदाबाद से टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन जातीय समीकरण आड़े आ गए। दलाल पर फरीदाबाद से निर्दलीय चुनाव लड़ने का दबाव है। हुड्डा के सामने दलाल यह कदम उठा पाएंगे, हालांकि संभावना कम है।
हुड्डा पर कैप्टन ने लगाया षडयंत्र करने का आरोप
कांग्रेस में असंतोष की दृष्टि से चौथी सीट गुरुग्राम लोकसभा की है, जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मित्र फिल्म अभिनेता व पूर्व सांसद राज बब्बर को चुनाव लड़वाया जा रहा है।
इस टिकट पर कांग्रेस ओबीसी सेल के प्रधान कैप्टन अजय यादव की दावेदारी थी, लेकिन हुड्डा ने राज बब्बर को चुनावी रण में उतार दिया है।
राज बब्बर को टिकट देने की औपचारिक रूप से कैप्टन ने तारीफ तो की है, लेकिन साथ ही हुड्डा पर यह आरोप लगा दिया कि हरियाणा कांग्रेस के कुछ नेता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
लोकसभा के नतीजों का विधानसभा पर पड़ेगा असर
हुड्डा गुट के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने बिना किसी गुटबाजी के मजबूत उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, लेकिन एसआरके गुट उनकी इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
कांग्रेस में जिस तरह से हुड्डा की पसंद के टिकट बांटे गए हैं, उससे यह बात तो साफ हो गई है कि इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी हुड्डा की पसंद-नापसंद का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन यह लोकसभा चुनाव के नतीजों पर काफी हद तक निर्भर रहने वाला है।
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा असर
कांग्रेस की गुटबाजी का असर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर भी सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। हुड्डा ने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करते हुए भिवानी से कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का टिकट कटवा दिया है।
किरण को एसआरके (सैलजा-रणदीप सुरजेवाला-किरण चौधरी) गुट की नेता माना जाता है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की हार का ठीकरा भी किरण चौधरी पर ही फोड़ा जा रहा है। कांग्रेस ने यहां हुड्डा के बेहद नजदीकी राव दान सिंह को टिकट दिया है।
राव दान सिंह हालांकि किरण को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। किरण ने उनसे बातचीत करने में रुचि भी दिखाई है, मगर वे चुनाव में राव दान सिंह का साथ देंगी, इसकी संभावना नहीं है। किरण चौधरी और श्रुति भिवानी में समर्थकों की बैठक बुलाकर घोषणा कर चुकी हैं कि वे पार्टी के फैसले के साथ हैं।