हरियाणा में भाजपा की अपने दम पर सरकार बनने के बाद यहां लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में टिकट बंटवारे को लेकर भी फैसला हो गया। जो पहले जजपा के गठबंधन में होने से नहीं हो पा रहा था। अंबाला सीट से भाजपा की प्रत्याशी घोषित होने के बाद बंतो कटारिया चंडीगढ़ स्थित सीएम आवास पहुंची। इस दौरान वह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलकर रो पड़ीं।
अंबाला लोकसभा सीट
बंतो कटारिया (59 वर्षीय), भाजपा ने पूरी की रतनलाल की इच्छा, पत्नी बंतो को दी टिकट अंबाला लोकसभा सीट (आरक्षित) से दो बार सांसद रहे रतनलाल कटारिया का सपना था कि उनकी पत्नी बंतो कटारिया को टिकट मिले। भाजपा ने ये इच्छा पूरी की। अंबाला लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी एवं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात करने के लिए बंतो कटारिया पहुंची।
बंतो कटारिया ने कहा कि रतनलाल कटारिया के अधूरे कार्यों को मैं पूरा करूंगी। भारतीय जनता पार्टी ने जो मान सम्मान कटारिया परिवार को दिया है, उसको हम कभी भुला नहीं पाएंगे। इस दौरान बात करते-करते बंतो कटारिया भावुक होकर रो पड़ीं। बंतो कटारिया का मायका संघ से जुड़ा है और शादी के बाद राजनीति में सक्रिय रहीं।
कटारिया परिवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करीबी रहा है। शादी के बाद एलबीबी की डिग्री हासिल की। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस भी की। शादी के चार साल पहले ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश उपाध्यक्ष पद तक की जिम्मेदारी निभाई। टिकट मिलते ही बंतो कटारिया ने पंचकूला में स्थित माता मनसा देवी मंदिर में माथा टेका। उनका एक बेटा और एक बेटी है।
फरीदाबाद लोकसभा सीट
कृष्णपाल गुर्जर (67 वर्षीय) पुराने दिग्गज नेता पर जताया भरोसा दक्षिण हरियाणा की फरीदाबाद भी काफी महत्वपूर्ण सीट है। भाजपा हाईकमान ने लगातार तीसरी बार पुराने दिग्गजों पर ही भरोसा जताया है। फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर टिकट दिया है।
कृष्णपाल गुर्जर के टिकट में शुरुआत से ही कोई बड़ी चुनौती नहीं थी, लेकिन कृष्णपाल गुर्जर के सामने इस बार पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने भी दावेदारी की थी। गुर्जर 1996, 2000 और 2009 में हरियाणा विधानसभा के सदस्य व राज्य सरकार में एक बार मंत्री भी रहे हैं। कृष्णपाल की शैक्षणिक योग्यता बीए, एलएलबी है। 2019 में कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना को हराया था।
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट
धर्मबीर सिंह (69 वर्ष) फिर दी कमल खिलाने की जिम्मेदारी सांसद धर्मबीर सिंह पर भाजपा ने तीसरी बार भरोसा जताया है। अगर वे जीत दर्ज करते है तो भिवानी लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने वाले पहले सांसद होंगे। वे चार बार विधायक रहे हैं। भिवानी के गांव तालू में जन्मे चौ. धर्मबीर सिंह ने पहली बार 1983 में पंचायत चुनाव में पंच का चुनाव जीता था।
वे 1983 में ही पंचायत समिति के सदस्य बने और फिर बवानीखेड़ा पंचायत समिति के अध्यक्ष बने। 1987 में लोकदल पार्टी की टिकट पर पहली बार तोशाम से विधायक बने। वर्ष 2000 में तोशाम से ही कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने। वर्ष 2005 में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। वर्ष 2009 में सोहना तावड़ू विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की।
करनाल लोकसभा सीट
मनोहर लाल (70 वर्ष) एक नई भूमिका में चुनावी जंग को तैयार पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल का परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाकिस्तान स्थित अपने पैतृक घर से वर्ष 1947 में लगभग खाली हाथ भारत आया। मनोहर लाल के पिता और दादा ने रोहतक जिले के ग्रामीण क्षेत्र में खेती को अपना पेशा बनाया। तब से परिवार वहीं बस गया।
1977 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। 2014 में करनाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, सीट जीती और 26 अक्टूबर 2014 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। फिर लगातार दूसरी बार वर्ष 2019 में करनाल से ही चुनाव जीते और एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। 12 मार्च को सीएम और 13 मार्च को करनाल विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया। अब करनाल सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
सिरसा लोकसभा सीट
अशोक तंवर (48 वर्षीय) 53 दिन पहले आए और मिला टिकट अशोक तंवर इस सीट से चौथी बार लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। पहले तीन चुनाव उन्होंने कांग्रेस की टिकट से लड़े। जबकि चौथा चुनाव में भाजपा की टिकट पर लड़ रहे हैं। अशोक तंवर 20 जनवरी 2024 को भाजपा में शामिल हुए थे।
भाजपा में शामिल होने के 53 दिनों बाद ही उन्हें टिकट मिल गई है। उधर सुनीता दुग्गल के समर्थकों में मायूसी है। अशोक तंवर 2019 में सुनीता दुग्गल से 3 लाख 9 हजार 918 वोटों से हार गए। लेकिन जिन भाजपा नेत्री सुनीता दुग्गल से वे हारे थे, अब भाजपा में शामिल होकर उसी की टिकट कटवाकर खुद हासिल की।
गुड़गांव लोकसभा सीट
राव इंद्रजीत सिंह (73 वर्षीय) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोस्त कहकर पुकारा तभी टिकट हो गया था पक्का गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र जंग-ए-आजादी के नायक रहे राव तुलाराम के वंशज राव इंद्रजीत सिंह का अभेद्य दुर्ग माना जाता है। वह लगातार तीन बार इस क्षेत्र से जीत चुके हैं। इससे पहले जब गुरुग्राम जिला महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था तो वहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। जबसे वह संसदीय राजनीति में हैं तब से केवल एक बार कारगिल युद्ध के बाद हुए चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा प्रत्याशी डा. सुधा यादव ने उन्हें हराया था। तब राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। पिछले महीने रेवाड़ी में एम्स के शिलान्यास को लेकर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसद व केंद्रीय योजना एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह को दोस्त कहकर पुकारा था।
तभी उनका टिकट पक्का हो गया था। रही सही कसर मंत्री भूपेंद्र यादव को अलवर से टिकट दे दिया गया। 2014 से पहले कांग्रेस के टिकट पर 1998, 1999, 2004 एवं 2009 का चुनाव लड़ा। 1999 को छोड़कर सभी चुनाव में जीते हैं। राव इंद्रजीत सिंह के पास वर्तमान में केंद्रीय योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की जिम्मेदारी है। 1977-96 तक विधानसभा के सदस्य रहे।