लोकसभा चुनावों में हरियाणा की दसों सीटों को दोबारा से जीतने के लिए भाजपा ने नए सिरे से बिसात बिछा दी है। एंटी इंकम्बेंसी को देखते हुए भाजपा ने नई रणनीति तैयार की है। मोदी लहर में पुराने चेहरों की बजाए भाजपा नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतार रही है। 

भाजपा ने तीन दिग्गजों राव इंद्रजीत सिंह, कृष्ण पाल गुर्जर और चौधरी धर्मबीर सिंह पर दोबारा से विशवास जताया है, जबकि दो मौजूदा सांसदों की टिकटें काटकर नए चेहरों पर दांव खेला है। 
इससे पहले हिसार से सांसद रहे बृजेंद्र सिंह पहले ही टिकट कटने के आभास से पार्टी छोड़ चुके हैं। शेष चार सीटों पर अभी पेंच फंसा है, संभावना है कि इन चारों सीटों पर भी भाजपा नए मोहरों की तलाश कर रही है, ऐसे में मौजूदा सांसदों की टिकट कटना लगभग तय है।

तीसरी बार मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा ने हरियाणा की दसों लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश सरकार के साथ-साथ हाईकमान ने भी पूरी ताकत झोंकी हुई है। हरियाणा को लेकर भाजपा हाईकमान कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल को मैदान में उतार दिया है। 

इससे भाजपा ने साफ संकेत दिए है कि मनोहर लाल अब केंद्र की राजनीति करेंगे। इसी प्रकार, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे और सिरसा से सांसद रह चुके अशोक तंवर पर भी बड़ा दांव खेला है। अभी हुड्डा के गढ़ रोहतक और सोनीपत में प्रत्याशी फाइनल करने पर पेच फंसा हुआ है। यहां से अरविंद शर्मा और रमेश कौशिक सांसद हैं। 

सोनीपत सांसद की एक सीडी सोशल मीडिया में आने के बाद से उनका टिकट कटना तय है। इसके अलावा, अरविंद शर्मा की सीट बदली जा सकती है, उनको सोनीपत भेजा जा सकता है। रोहतक में अभिनेता रणदीप हुड्डा का नाम चल रहा है। इसी प्रकार, कुरुक्षेत्र और हिसार में भी पेच फंसा है। 

कुरुक्षेत्र से आप पहले ही सुशील गुप्ता को उतार चुकी है, भाजपा उद्योगपति नवीन जिंदल को उतारने की तैयारी में है, लेकिन अभी तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। हिसार से कुलदीप बिशनोई के नाम की चर्चा है।

जजपा से भाजपा का गठबंधन हिसार और भिवानी सीट को लेकर टूटा है। जजपा दोनों सीटें अपने खाते में मांग रही थी, लेकिन भाजपा ने इंकार कर दिया। संभावना है कि इसी सप्ताह में शेष चारों सीटों पर भी प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे।

रैली और सर्वे से तय होती टिकटें


भाजपा हाईकमान ने सांसदों के रिपोर्ट कार्ड के हिसाब से टिकटें दी हैं। पिछले साल हाईकमान के आदेश पर सभी सांसदों ने रैलियां की थी। इसमें केंद्रीय मंत्री शामिल रहे थे। रैलियों में जुटी भीड़ के आधार पर सांसदों को अंक दिए गए। इसके अलावा आंतरिक सर्वे कराया गया। इसमें सुनीता दुग्गल और संजय भाटिया की रिपोर्ट खराब मिली। क्षेत्र में कम सक्रियता और एंटी इंकम्बेंसी के चलते दोनों को टिकटें नहीं दी गईं। पिछली बार संजय भाटिया ने 6.50 लाख वोटों से जीत कर रिकार्ड बनाया था।

राव का नहीं मिला तोड़


वहीं, भाजपा को अहीरवाल में राव इंद्रजीत का कोई तोड़ मिला, इसलिए उनको तीसरी बार मैदान में उतारा है। इसी प्रकार, कृष्ण पाल गुर्जर और धर्मबीर सिंह को जातीय समीकरणों को बैलेंस करने के लिए मौका दिया है।

अंबाला से रतनलाल कटारिया की पत्नी को टिकट देकर भाजपा ने इमोशनल कार्ड खेला है। कटारिया के निधन के बाद भाजपा को उम्मीद है कि मोदी लहर और सहालुभूति के तौर पर वोट मिल सकते हैं।