सुरीली आवाज के हमेशा के लिए खामोश होने की खबर सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। लोग यकीन नहीं कर पा रहे थे कि मंच पर जिंदादिली के साथ गीत और रागनी से हर किसी को अपना बना लेने वाला लोक कलाकार कंवरपाल कलिंगा अब उनके बीच नहीं रहे। डेंगू का डंक आवाज के जादूगर कलिंगा को लील लिया।

कंवरपाल के सोमवार से लगातार तीन दिन तक इलाके में गायन के कार्यक्रम भी निर्धारित हो चुके थे। उन कार्यक्रमों में जब कंवरपाल की मौत की सूचना मिली तो सन्नाटा छा गया। कंवरपाल लोक गायकों में भी काफी मिलनसार और जिंदादिल इंसान थे। हरियाणा के कई कलाकार उसके काफी नजदीकी रहे हैं। यूट्यूब चैनल पर भी उनके गानों की धूम मची है।

धार्मिक और देशभक्ति गीतों से भी वे लोगों के अंदर जोश भरते थे। कंवरपाल कलिंगा पिछले दस सालों से उत्तरी भारत में लोक गायक के तौर पर मशहूर रहे हैं। वे धार्मिक आयोजनों, रात्रि जागरण के अलावा रागनी गायन में नामी कलाकारों में शुमार रहे हैं। उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव कलिंगा में किया गया।

इसमें हरियाणा के लोक कलाकार वीरपाल खरकिया, सुनीता बेबी, सुमन गोस्वामी, अनिल बलंबा, अजमेर बलंबा सहित अनेक कलाकार शामिल हुए।

कंवरपाल के गुरु खजान ने बताया कि उनका शिष्य लोक गायकी में उत्तरी भारत का बढ़िया कलाकार रहा है। उनके अचानक इस तरह चले जाने से भिवानी सहित पूरे प्रदेश ने एक अच्छा कलाकार खो दिया है। खजान सिंह ने बताया कि सिंगर कंवरपाल कलिंगा नाम ये यू ट्यूब पर काफी गाने सोशल मीडिया पर भी खूब सराहे गए हैं वहीं उनके फेसबुक अकाउंट सिंगर कंवरपाल कलिंगा पर भी उनके गानों की अच्छी चर्चा रहती है। उनका प्रसिद्ध गाना क्यूं ढोंग रचा री सै भी समर्थकों में काफी सराहा गया है।

  • भाई राजेंद्र ने बताया कि कंवरपाल का सोमवार को भी कार्यक्रम था और लगातार तीन दिनों तक उसके इलाके में कार्यक्रम निर्धारित थे। लेकिन अचानक ही वह चल बसा। कंवर पाल ज्यादातर धार्मिक आयोजनों, पारिवारिक कार्यक्रमों के अलावा रागनी गायन कंप्टीशन में भी हिस्सा लेता था। मंडल ने कंवरपाल के निधन से सभी आगामी कार्यक्रम भी रद्द कर दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *