अशोक यादव/कुरुक्षेत्र: ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर राधा कृष्ण मिलन मंदिर है. इस मंदिर में वृंदावन के निधिवन में पाए जाने वाला तमाल का वृक्ष आज भी मौजूद है. बताया जाता है कि यह वही वृक्ष है, जहां असरे बाद राधा रानी का श्रीकृष्ण से मिलन हुआ था.
- मान्यता के अनुसार, वृंदावन के निधिवन में तमाल के वृक्ष की छाया में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रासलीला करते थे. वही तमाल का वृक्ष कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भी स्थित है. तमाल का यह वृक्ष कृष्ण की लीलाओं को संजोये हुए है. कहा जाता है की तमाल का यह वृक्ष वृन्दावन के निधिवन के आलावा कहीं और नहीं पाया जाता.
राधा-कृष्ण के मिलन का प्रतीक है तमाल वृक्ष
कुरुक्षेत्र में इस स्थान पर तमाल के वृक्ष का होना राधा कृष्ण के मिलन को दर्शाता है. इस वृक्ष की बनावट कुछ इस प्रकार है कि वृक्ष की हर टहनी दूसरी टहनी के साथ ऊपर जाकर मिल जाती है. इस वृक्ष की टहनियां जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ती हैं वो एक दूसरी के साथ लिपट जाती हैं.
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
आज भी लोग इस वृक्ष को देख कर भाव विभोर हो जाते हैं. शास्त्रों में वर्णित है की राधा रानी कभी वृन्दावन को छोड़ कर कहीं गई ही नहीं. कुरुक्षेत्र धाम के इस तीर्थ पर वह एक अरसे बाद श्री कृष्ण के बुलावे पर गोपियों संग सूर्य ग्रहण के मौके पर संहित सरोवर पर आई थी. यह वही स्थान है, जहां पर राधा-श्री कृष्ण का मिलन हुआ था. वृन्दावन में पाए जाना वाला तमाल का वृक्ष भी राधा कृष्ण मिलन मंदिर में है. गोडिया मठ द्वारा संचालित इस मंदिर में राधा कृष्ण के मिलन का साक्षी तमाल का वृक्ष श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है.
श्रीकृष्ण का कुरुक्षेत्र से अनूठा सम्बन्ध
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से अनूठा सम्बन्ध है. कहते हैं कि बचपन में भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम का मुंडन संस्कार कुरुक्षेत्र के शक्तिपीठ भद्रकाली में हुआ था. उसके बाद दूसरी बार जब भगवान अपने गुरु अंगिरस से मिलने हिमालय जा रहे थे तब कुरुक्षेत्र में ही रुके थे. तीसरी बार भगवान सम्पूर्ण सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र आये थे और ब्रज से आये नन्द बाबा और यशोदा मैया से यहां पर मिले थे. चौथी बार भगवान श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र महाभारत युद्ध के दौरान आये और सम्पूर्ण विश्व को गीता का संदेश दिया.