- गोसेवा आयोग के अनुसार प्रदेश की 600 पंजीकृत गोशालाओं में पांच लाख गायें हैं, प्रदेश सरकार आयोग के जरिये हर साल 50 करोड़ रुपये गोशालाओं को अनुदान देती है। गोशाला संचालकों के अनुसार वर्तमान में प्रदेश की गोशालाओं में 16.50 लाख गोवंश है।
गोवंश संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध मनोहर सरकार ने गायों की सुरक्षा और उनके संवर्धन के लिए अपने पहले कार्यकाल में गोसेवा आयोग का गठन किया था। सरकार आयोग के माध्यम से 600 पंजीकृत गोशालाओं को आर्थिक मदद देती है। लेकिन हकीकत यह है कि सरकार प्रति गाय प्रति दिन के हिसाब से 2.73 रुपये दे रही है, लेकिन गायों के पास सिर्फ 83 से 85 पैसे ही पहुंच रहे हैं। इसी पैसे से गोशाला संचालकों को गायों के खाने, रहने और इलाज का खर्च उठाना पड़ रहा है।
गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्रवण कुमार गर्ग ने बताया कि प्रदेश की 600 पंजीकृत गोशालाओं में पांच लाख गायें हैं। प्रदेश सरकार की ओर से हर वर्ष 50 करोड़ रुपये गोशालाओं को दिए जाते हैं। इस हिसाब से एक गाय के हिस्से में रोजाना के 2.73 रुपये आते हैं।
वहीं हिसार के बालसमंद में चलने वाली गोशाला के प्रधान अनिल दत्त ने बताया कि प्रदेश की गोशालाओं में गोवंशों की संख्या 16.50 लाख से ज्यादा है। इसलिए एक गाय के हिस्से में 83 से 85 पैसे ही आते हैं। गाय के संरक्षण और भरण-पोषण के नाम पर यह सरकारी अनुदान केवल नाममात्र है।
गोशाला में रखी जा रही एक गाय पर रोजाना औसतन 130 से 150 रुपये खर्च हो रहे हैं। सरकार को प्रति गाय 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान देना चाहिए। सिरसा की केलनियां नंदीशाला के प्रधान पवन बंसल ने बताया कि वेटरनरी सर्जन की ओर से गायों की संख्या की रिपोर्ट आयोग को भेजी जाती है। इसके बाद आयोग गोशाला को अनुदान राशि जारी करता है।
एक गाय के खाने का खर्च ही 180 रुपये
सिरसा की श्री गोशाला के महासचिव प्रेम कुमार कंदोई ने बताया कि एक गाय दिन में करीब 10 से 13 किलो चारा खाती है। चारे में घास, तूड़ी, ज्वार और दालों के छिलके मिलाए ते हैं। इस समय सूखी तूड़ी का दाम भी कम से कम 10 से 12 रुपये किलो है।
इस प्रकार एक गाय पर दिन में करीब 180 रुपये खर्चा आता है। इसके अलावा गायों की सेवा के लिए कर्मचारी भी रखने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि दूध आदि से होने वाली आय और समाजसेवियों की मदद को भी जोड़ लिया जाए तब भी एक गाय पर रोजाना 130 से 150 रुपये का खर्च है।