प्रदेश की मनोहर सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. हरियाणा में अब पिछड़ा वर्ग- ए को पंचायतों की तर्ज पर नगर निगमों, नगर परिषदों और पालिकाओं में भी आरक्षण देने का फैसला लिया है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले पिछड़ा वर्ग को साधने में जुटे सीएम मनोहर लाल ने सोमवार को मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाई, जिसमें आरक्षण का प्रारूप तय कर दिया गया.
किसी भी स्थानीय निकाय में अगर पिछड़ा वर्ग- ए (बीसी- ए) की आबादी दो प्रतिशत हुई तो उसके लिए पार्षद का एक पद जरूर आरक्षित होगा. इसी तरह मेयर और परिषद व पालिका अध्यक्षों के आठ प्रतिशत पद पिछड़ा वर्ग- ए के लिए आरक्षित किए गए हैं.
- पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) दर्शन सिंह के नेतृत्व में गठित आयोग ने शनिवार को ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. पिछड़ा वर्ग के लोगों के राजनीतिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए गहन जांच करने के बाद आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि बीसी- ए के लोगों को निकायों में राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है. मंत्रिमंडल की बैठक में इस रिपोर्ट पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी गई.
प्रत्येक नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका में पार्षद का पद नागरिकों के ब्लॉक-ए के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित होगा और इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या उस क्षेत्र में सीटों की कुल संख्या के समान अनुपात में हो सकती है. शहरी स्थानीय क्षेत्र, उस शहरी स्थानीय क्षेत्र में कुल आबादी के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक- ए की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में अगर दशमलव मान 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक तक पूर्णांकित किया जाएगा. बशर्ते कि यदि पिछड़े वर्ग (ए) की आबादी सभा क्षेत्र की कुल आबादी का दो प्रतिशत या अधिक है तो प्रत्येक निकाय में पिछड़े वर्ग (ए) से संबंधित कम से कम एक पार्षद होगा.
अनुसूचित जाति की आबादी 50 प्रतिशत या अधिक है, वहां पिछड़ा वर्ग- ए को उनकी आबादी के प्रतिशत के बावजूद आरक्षण नहीं मिलेगा. जहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या शहरी स्थानीय निकाय की जनसंख्या का 40 प्रतिशत है तथा शहरी स्थानीय क्षेत्र में 10 सीटें है तो अनुसूचित जाति के लिए चार सीटें आरक्षित होंगी और शेष एक सीट पिछड़ा वर्ग ब्लाक के लिए उपलब्ध होगी. पिछड़ा वर्ग ए की आबादी 25 प्रतिशत है तो 12.5 प्रतिशत सीटें पिछड़ा वर्ग- ए के लिए आरक्षित होगी.