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निकाय चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा था अब भाजपा को बैशाखियों की जरूरत नहीं है। अब दिग्विजय सिंह चौटाला व प्रेमलता के आपसी तंज से ज्यादा दूरियां बढ़ी हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में प्रेमलता को दुष्यंत चौटाला ने 47452 वोटों से हराया था।  

जिस प्रकार से चौधरी बीरेंद्र सिंह व अजय सिंह चौटाला परिवार में जुबानी जंग हो रही है, उससे यही लगता है कि उचाना की लड़ाई कहीं जजपा-भजपा के बीच की खाई को और नहीं बढ़ा दे। दोनों ही परिवार उचाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। यदि भाजपा-जजपा चुनावी गठबंधन के तहत लड़ेंगे तो फिर उचाना विधानसभा क्षेत्र से कौन चुनाव लड़ेगा, यह दोनों ही परिवारों के लिए बड़ा सवाल होता जा रहा है।

2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की तरफ से चौधरी बीरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रेमलता और जजपा की तरफ से दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा था। इसमें दुष्यंत चौटाला ने 47,452 वोटों से प्रेमलता को हरा दिया था। इसके बाद जजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया और दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बन गए।

अब फिर 25 मार्च को बीरेंद्र सिंह ने अपने जन्मदिन पर उचाना में आयोजित जनसभा में कहा कि दुष्यंत चौटाला ने उचाना हलके में कोई विकास कार्य नहीं करवाए हैं, जो भी विकास कार्य हुए हैं, वह प्रेमलता के कार्यकाल में हुए हैं। दुष्यंत के पास पांच कार्य भी गिनवाने के लिए नहीं हैं जबकि वह 100 कार्य गिनवा सकते हैं।

इसके बाद पिछले दिनों अलेवा में आए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यदि बीरेंद्र सिंह 100 काम गिनवाते हैं तो वह 200 काम गिनवा सकते हैं। यह जनता जानती है किसने कितने काम करवाए हैं। पांच दिन पहले हिसार में एक कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि मुझे लगा कि प्रेमलता पढ़ी-लिखी होंगी, लेकिन वह नहीं हैं।

2009 में उचाना में की थी चौटाला परिवार ने एंट्री
2009 में हुए विधानसभा चुनाव उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में चौटाला परिवार ने एंट्री की थी। यहां 2009 में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने चुनाव लड़ा था और उन्होंने चौधरी बीरेंद्र सिंह को 631 वोटों से हराया था। इसके बाद 2014 में यहां से इनेलो की तरफ से दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा। उनको प्रेमलता ने 7,480 वोटों से हरा दिया था। 2019 में फिर मुकाबला प्रेमलता और दुष्यंत चौटाला के बीच हुआ। इस बार दुष्यंत चौटाला जजपा की तरफ से लड़े। उन्होंने प्रेमलता को 47,452 वोटों से हराया था।

गठबंधन पर कितना होगा बयानों का असर


जजपा और चौधरी बीरेंद्र सिंह परिवार के बीच चल रही जुबानी जंग उचाना विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रहेगी या फिर इसका असर गठबंधन पर पड़ेगा, यह तो आने वाले समय ही बताएगा। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह लड़ाई केवल उचाना विधानसभा चुनाव जीतने तक ही रहेगी। यदि भाजपा-जजपा गठबंधन में चुनाव लड़ेगी तो उचाना विधानसभा क्षेत्र की सीट अपने-अपने खाते में लाने के लिए दोनों ही परिवार पूरा जोर लगाएंगे और हो सकता है कि यह फैसला भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को करना पड़े। यदि दोनों ही दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे तो फिर आसानी से इस सीट पर चौधरी बीरेंद्र सिंह परिवार के सदस्य चुनाव लड़ेंगे और जजपा की तरफ से भी दुष्यंत चौटाला इसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

By Anita

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