अगले महीने नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। कृषि में स्नातक, तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ कृषि प्रबंधन की पढ़ाई कर सकते हैं।हरियाणा प्रदेश कृषि प्रधान है। करीब 55 फीसदी आबादी खेती पर ही निर्भर है।
आपने 12वीं की परीक्षा दे दी है और कृषि क्षेत्र में भविष्य की राह तलाशने के इच्छुक हैं तो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार आप के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस विश्वविद्यालय के कैंपस में स्थित कॉलेजों में कृषि की सामान्य पढ़ाई के साथ-साथ कृषि इंजीनियरिंग, मत्स्य विज्ञान और कृषि प्रबंधन की भी पढ़ाई होती है।
हरियाणा प्रदेश कृषि प्रधान है। करीब 55 फीसदी आबादी खेती पर ही निर्भर है। किसानों ने खेती की नई विधियों व तकनीकों को अपनाकर इस क्षेत्र में भी परिवर्तन लाया है। बागवानी व सब्जी की खेती से किसानों की आय बढ़ी है। तमाम ऐसे नौजवान सामने आए हैं, जिन्होंने कोरोना संकट के दौरान नौकरी छोड़ने के बाद कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग कर सफलता की कहानी लिखी है। इसलिए अब कृषि क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर बढ़ रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद विदेश में शोध के खुले दरवाजे
विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि कृषि क्षेत्र में शोध के अवसर बढ़े हैं। संस्थान के वैज्ञानिकाें ने गेहूं, सरसों, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि फसलों की नवीन और उन्नतशील प्रजातियों की खोज की है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। बदली हुई परिस्थितियां कृषि क्षेत्र में पढ़ाई व शोध करने वालों के लिए और बेहतर हुई हैं। 12वीं के बाद इन कोर्सेज में लें एडमिशन बीएससी आनर्स एग्री कल्चर, बीएफएससी (बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस), बीएससी कम्युनिटी साइंस, बीएससी आनर्स, एग्री बिजनेस मैनेजमेंट में इंट्रेंस टेस्ट की मेरिट के आधार पर नामांकन होगा। बीटेक (एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग) में दाखिले हरियाणा राज्य काउंसिलिंग सोसायटी की तरफ से आयोजित ज्वाइंट इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होते हैं। स्नातकोत्तर व पीएचडी में भी होते हैं दाखिले एचएयू के कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर इकनॉमिक्स एग्रोनामी, इंटोमोलॉजी, हार्टीकल्चर, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट पैथालॉजी आदि कोर्स में नामांकन होता है। इसके अलावा संस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए (जनरल) के अलावा एमबीए (एग्री बिजनेस) की भी पढ़ाई होती है।