कौन होगा हरियाणा भाजपा का अगला अध्यक्ष, पढिए हमारा तथ्यात्मक एवं सटीक विश्लेषण

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस समय अपने संगठनात्मक पुनर्गठन के सबसे महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है। बीते तीन दिनों में देशभर के कई प्रदेशों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है। जिनमें मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं। भाजपा की कुल 37 प्रादेशिक इकाइयों में से अब तक 22 में नए अध्यक्षों की घोषणा की जा चुकी है।

भाजपा हरियाणा

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में एक राज्य ऐसा है जहां प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा अभी तक नहीं हुई है — और वह है हरियाणा।


हरियाणा में देर क्यों?

यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब बाकी राज्यों में नियुक्तियां हो चुकी हैं, तो हरियाणा में क्यों विलंब हो रहा है? इसका जवाब बहुत अधिक राजनीतिक या रणनीतिक नहीं, बल्कि गणितीय (मैथेमैटिकल) है।

दरअसल, भाजपा में संगठनात्मक चुनाव एक निश्चित प्रक्रिया के तहत होते हैं। सबसे पहले सदस्यता अभियान चलाया जाता है, फिर उन सक्रिय सदस्यों से बूथ अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष चुने जाते हैं। जिला अध्यक्ष अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो मिलकर प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। यह पूरा ढांचा पार्टी को नीचे से ऊपर तक लोकतांत्रिक दिखाने के लिए रचा गया है, भले ही व्यावहारिक रूप में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति निर्विरोध ही होती है।

हरियाणा में यह प्रक्रिया देर से शुरू हुई, इसलिए यहां अभी तक संगठनात्मक चुनाव पूरे नहीं हो पाए हैं। हालांकि भाजपा के संविधान के मुताबिक, यदि 37 में से 22 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद सदस्य चुने जा चुके हों, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव हो जाता है। इस प्रक्रिया में हरियाणा का विलंब कोई रुकावट नहीं बनता।


प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति: चुनाव नहीं, सहमति का खेल

हालांकि संविधान में चुनाव की बात कही गई है, लेकिन भाजपा में अध्यक्षों की नियुक्ति निर्विरोध सहमति से ही होती है। पार्टी हाईकमान जिस चेहरे पर मुहर लगाता है, वही नामांकन भरता है और बाकी सदस्य समर्थन कर देते हैं। यही कारण है कि हरियाणा में भी किसी प्रकार के चुनाव की उम्मीद नहीं की जा रही । यहां भी नियुक्ति निर्विरोध ही होगी।


तो फिर कौन होगा हरियाणा भाजपा का अगला अध्यक्ष?

फिलहाल 3 नामों पर है तेज चर्चा

यह सवाल अब हरियाणा की सियासत में सबसे गर्म मुद्दा बन चुका है। चर्चाओं में कई नाम हैं, लेकिन सभी संभावित उम्मीदवारों की खासियतों और सीमाओं के आधार पर कुछ चेहरे प्रमुख रूप से सामने आए हैं:

  1. जेपी दलाल – अनुभवी जाट चेहरा

भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री जेपी दलाल, लोहारू विधानसभा से हैं। भले ही वह पिछला चुनाव हार चुके हों, लेकिन वह एक मजबूत जाट चेहरा हैं। हरियाणा में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट वोट बैंक को साधने की है । और ऐसे में जेपी दलाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक मजबूत सामाजिक संकेत दिया जा सकता है।
वे संगठन की गहराई को समझते हैं और सीनियर नेता हैं। विपक्षी माहौल में भी पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा सवालों से परे रही है।

  1. कैप्टन अभिमन्यु – युवा सोच, सैन्य अनुशासन

पूर्व कैबिनेट मंत्री और भारतीय सेना में 7 साल सेवा दे चुके कैप्टन अभिमन्यु भी इस दौड़ में हैं। वे भी एक जाट नेता हैं, और उनकी छवि सशक्त और अनुशासित मानी जाती है।
हालांकि उम्र में वे पूरी तरह से युवा नहीं हैं, लेकिन 70 वर्ष की दहलीज पार कर चुके जेपी दलाल की तुलना में उम्र उनके पक्ष में जाती है। उनकी दावेदारी भाजपा की युवा नेतृत्व नीति के अनुरूप भी हैं।

  1. सुरेंद्र पूनिया – संगठन का भरोसेमंद चेहरा

तीसरा नाम जो तेज़ी से उभर रहा है, वो है सुरेंद्र पूनिया। वर्तमान में भाजपा के प्रदेश महामंत्री के रूप में उनकी भूमिका बेहद सक्रिय रही है।
उनकी सबसे बड़ी ताकत है बेदाग छवि, संगठन पर मजबूत पकड़ और हर कार्यक्रम में उनकी अग्रणी भूमिका। भाजपा के भीतर महामंत्री से प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की परंपरा पुरानी रही है और पूनिया इस रोल के लिए पूर्णतः तैयार नजर आते हैं।


लेकिन कुछ नामों पर सवाल भी

कुछ मीडिया और सोशल मीडिया हलकों में ऐसे नाम भी लिए जा रहे हैं जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। लेकिन भाजपा के “घोषित संविधान”के अनुसार, कोई भी नेता जो छह साल से पार्टी में नहीं है, उसे अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता । जब तक कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी विशेष प्रस्ताव पारित न करे, जिसकी संभावना फिलहाल नगण्य है।


क्या मोहनलाल बडोली को मिलेगा दोबारा मौका?

भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष “मोहनलाल बडोली” के नाम की भी चर्चा है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने स्थानीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उन पर कुछ विवाद और आरोप भी लगे, जो भले ही फर्जी साबित हुए हों, लेकिन राजनीति में दाग एक बार लग जाए, तो छवि धुंधली हो ही जाती है।


निष्कर्ष: फैसला जल्द, लेकिन रणनीतिक

हरियाणा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति अब सिर्फ समय की बात है। चाहे जेपी दलाल हों, कैप्टन अभिमन्यु या सुरेंद्र पूनिया । पार्टी एक ऐसा चेहरा चाहती है जो संगठनात्मक मजबूती के साथ-साथ आगामी चुनावों में सामाजिक समीकरणों को भी साध सके।

इस बार के फैसले में एक बात लगभग तय मानी जा रही है । अध्यक्ष कोई विधायक नहीं होगा, ताकि वह पूरी तरह संगठन पर फोकस कर सके।

अब देखना ये है कि हरियाणा भाजपा की कमान किसके हाथ में जाती है और क्या वह चेहरा 2029 की दिशा तय करने वाला बनेगा?

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