औद्योगिक नगरी में तेजी से भूजल स्तर खिसक रहा है। इसी कारण अपना शहर डार्क जोन में है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी गहरी नींद में सोए हुए हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि यमुना नदी किनारे भी तेजी से भूजल धरा में समा रहा है।

फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण द्वारा केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण से हाल ही में कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि 15 से 20 साल में भूजल स्तर तीन से 15 मीटर तक नीचे चला गया है। इस सर्वे के आंकड़ों से शासन व प्रशासन चिंतित हो है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। खतरे की घंटी तो कई साल से बज रही है।
यमुना नदी किनारे लगे 22 रेनीवेल हांफने लगे हैं। शहरवासियों की पेजयल मांग व आपूर्ति में 120 एमएलडी का अंतर आ गया है। शहर में रोज मांग 450 एमएलडी तो आपूर्ति केवल 330 एमएलडी (एक एमएलडी में दस लाख लीटर) हो पा रही है। यमुना नदी किनारे फिलहाल 30 से 35 मीटर पर भूजल स्तर है।
शहर में अवैध ट्यूबवेल की भरमार
भूजल स्तर खिसकने का एक बड़ा कारण पानी का अत्यधिक अवैध दोहन भी है। हम भूजल ले तो खूब रहे हैं लेकिन बदले में रिचार्ज कुछ नहीं कर पा रहे हैं। नगर निगम के शहरभर में रेनवाटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगे तो हैं लेकिन काम नहीं कर रहे हैं।शहर में 200 से अधिक अवैध रूप से ट्यूबवेल लगे हुए हैं, जिनसे दिन-रात पानी निकालकर बेचा जा रहा है। शहर में पहले 70 से अधिक तालाब थे, जिनका अस्तित्व ही मिट गया। यमुना नदी किनारे लगे हुए 22 रेनीवेल व ट्यूबवेल अपनी क्षमता के अनुसार पानी नहीं दे पा रहे हैं। अब 12 रेनीवेल और लगाने का काम शुरू हो गया है। इसलिए अब यहां से और अधिक पानी निकाला जाएगा।
एसटीपी लगे, लेकिन सदुपयोग नहीं
शहर से रोज 250 एमएलडी गंदा पानी निकलता है। नगर निगम के केवल तीन एसटीपी मिर्जापुर, बादशाहपुर और प्रतापगढ़ में हैं। दो एसटीपी काम नहीं कर रहे हैं। इसलिए सीवर का पानी सीधे नहरों में डाला जा रहा है। इस पानी को साफ कर लिया जाए तो शहर को 100 एमएलडी से अधिक ऐसा पानी मिल सकता है जिसका उपयोग पीने को छोड़ कर अन्य कार्यों में लिया जा सकता है।
50 गांव में बनेंगे तालाब
दरअसल यमुना नदी में मानसून के दौरान ही जलस्तर बढ़ता है। बाकी पूरे साल सूखा रहती है। इसलिए फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण के अधिकारी योजना बना रहे हैं कि मानसून के दौरान नदी के बढ़े हुए जलस्तर को तालाबों में संरक्षित किया जाए ताकि पूरे साल इनमें पानी भरा रहे। इसलिए नदी से लगते गांव में 50 तालाब विकसित करेगा। ताकि रेनीवेल सालभर रिचार्ज होते रहें।जमीन के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी गई है।साथ ही बाढ़ वाले क्षेत्र में जलाशय बनाए जाएंगे। सबसे बड़ा जलाशय तिलपत फायरिंग रेंज में 250 एकड़ में होगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से बात चल रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- 30 लाख है शहर की जनसंख्या
- 22 रेनीवेल हैं यमुना नदी किनारे
- 1700 ट्यूबवेल हैं, 12 रेनीवेल और लगाने का चल रहा है काम
- 450 एमएलडी हैं शहर में पेयजल की मांग
- 330 एमएलडी ही हो रही है सप्लाई
- 170 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को है पेयजल की जरूरत
गांव में हालात खराब
जिले में 100 ग्राम पंचायतों के अधिन 148 गांव हैं। इनके अधिकतर तालाब कचरे के ढेर से अटे पड़े हैं, इस कारण पानी जमीन में अधिक नीचे तक नहीं पहुंच पाता। यहां अधिकतर लोगों ने अपने स्तर पर सबमर्सिबल लगा लिए हैं, इनसे अत्यधिक पानी का दोहन किया जा रहा है। गांव में भी भूजल स्तर 120 से 130 फुट पर पहुंच गया है। यह भी देखना होता है कि नीचे पानी पर्याप्त है या नहीं। जिससे कम से कम 20 साल या इससे अधिक समय पर पानी मिल सके।