दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे (गुरुग्राम इलाके में) को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) जलभराव से निजात नहीं दिला सकता। न ही नालों के ऊपर सौ फीसद नजर रखना एनएचएआई के लिए संभव है। यह जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन को ही संभाली होगी। इस बारे में एनएचएआई ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है।

एनएचएआई ने यह भी सुझाव दिया है कि जलभराव से निजात दिलाने को लेकर गुरुग्राम में कोई एक एजेंसी तय की जाए। जीएमडीए, नगर निगम, एचएसआइआइडीसी एवं जिला प्रशासन से तालमेल बैठाने में दिक्कत होती है। नालों की सफाई से लेकर जलभराव से निजात दिलाने में जो खर्च आएगा, उसका शेयर एनएचएआई देगा।
बारिश में एक्सप्रेसवे पर क्यों भर जाता है पानी?
पिछले कई सालों गुरुग्राम इलाके में दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर कई जगह जलभराव की समस्या गंभीर है। सबसे गंभीर समस्या नरसिंहपुर में है। हल्की वर्षा होते ही सर्विस लेन ही नहीं बल्कि एक्सप्रेसवे के ऊपर पानी भर जाता है। पंपों से पानी निकाला जाता है। इसमें घंटों लगते हैं।
जलभराव के पीछे सबसे बड़ा कारण एक्सप्रेसवे के नालों में गंदगी का भरा होना और पानी निकासी की बेहतर व्यवस्था न होना है। नरसिंहपुर की तरह ही गांव झाड़सा के सामने एक्सप्रेसवे की सर्विस लेन पर दो से तीन फीट तक पानी जमा हो जाता है।एनएचएआई का कहना है कि एक्सप्रेसवे के बरसाती नालों में कचरा डाल दिया जाता है। घरों का मलबा नालों के किनारे रख दिया जाता है। वर्षा होते ही मलबा नालों में चला जाता है। ऐसे में कैसे जलभराव से निजात दिलाई जा सकती है। एनएचएआई बार-बार नालों की सफाई नहीं कर सकता। ऐसे में साफ-सफाई से लेकर जलभराव से निजात दिलाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन उठाए।
36 पुलिया में से 34 पूरी तरह बंद, कैसे निकले पानी?
नालों में गंदगी कोई न डाले, इसके ऊपर जिला प्रशासन ही बेहतर तरीके से नजर रख सकता है। पानी की निकासी के लिए जगह-जगह पुलिया का प्रविधान है। आगे पानी निकलने की जगह ही नहीं है।
ऐसे में कैसे समस्या का समाधान होगा। यदि सभी पुलिया की सफाई भी कर दी जाए तो आगे पानी कहां जाएगा। अधिकतर जगह पुलिया के ठीक आगे ग्रीन बेल्ट की दीवार बना दी गई। बता दें कि पानी निकासी के लिए गुरुग्राम इलाके में बनाई गई 36 पुलिया में से 34 पूरी तरह बंद हैं। इस वजह से हल्की वर्षा होते ही सर्विस लेन पर जलभराव हो जाता है।
एनएचएआई के पूर्व तकनीकी सलाहकार जेएस सुहाग का कहना है कि नालों की सफाई कराने से लेकर जलभराव से निजात दिलाने की जिम्मेदारी बहुत पहले स्थानीय प्रशासन के हवाले कर देनी चाहिए थी। दिल्ली-जयपुर हाईवे आबादी के बीच से गुजर रहा है। ऐसे में नालों में कोई गंदगी न डाले, इसके ऊपर स्थानीय प्रशासन ही बेहतर तरीके से नजर रख सकता है।
एक्सप्रेसवे के साथ-साथ बनाई गई ड्रेन की सफाई को लेकर जानकारी सामने आई है कि एनएचएआई ने कहा है कि स्थानीय प्रशासन इसके ऊपर ध्यान दे। जो खर्च आएगा, एनएचएआई शेयर करेगा। काम कौन करता है, यह विषय नहीं है। जलभराव नहीं होना चाहिए। इसके लिए जिला प्रशासन व एनएचएआई को आपस में तालमेल बैठाना चाहिए। – राव इंद्रजीत सिंह, केंद्रीय योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)