Kurukshetra News अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 28 नवंबर से शुरू होगा, जिसमें पहली बार व्यापारी, किसान, और सामाजिक संगठनों सहित हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में इसे आम जन का उत्सव बनाने की दिशा में बड़े कदम उठाए गए हैं।
48 कोस तीर्थों का दायरा और बढ़ा
पहले महोत्सव केवल कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) तक सीमित था। पिछले साल 48 कोस के सभी तीर्थों को जोड़कर हर तीर्थ पर महोत्सव मनाया गया। इस बार, आढ़ती, किसान और कारोबारी भी इसका हिस्सा बनेंगे।
मुख्यमंत्री करेंगे अहम बैठक
शुक्रवार को मुख्यमंत्री करीब 400 प्रतिनिधियों के साथ गीता ज्ञान संस्थानम में बैठक करेंगे। इसमें किसान, आढ़ती, कारोबारी एसोसिएशन, धार्मिक संस्थाएं, और सामाजिक संगठनों के सुझाव लिए जाएंगे। यह बैठक महोत्सव की सफलता के लिए निर्णायक होगी।
पांच दिसंबर से मुख्य आयोजन
महोत्सव की शुरुआत 28 नवंबर को शिल्प और सरस मेले से होगी, जो 15 दिसंबर तक चलेगा। मुख्य आयोजन 5 से 11 दिसंबर के बीच ब्रह्मसरोवर तट पर पुरुषोत्तमपुरा बाग में होंगे। 18,000 स्कूली बच्चे गीता श्लोकों का उच्चारण करेंगे।
हर वर्ग की भागीदारी प्राथमिकता: केडीबी
केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि इस बार महोत्सव को हर वर्ग के लिए सुलभ और समावेशी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में इस दिशा में सुझाव लिए जाएंगे और महोत्सव की गरिमा को बढ़ाने पर मंथन होगा।
महोत्सव का उद्देश्य
हर वर्ग को जोड़कर गीता महोत्सव को न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक बनाना है। इस पहल से इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान मिलने की उम्मीद है।