HARYANA VRITANT

Panchkula News हरियाणा विधानसभा के पहले सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण नहीं होने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। संविधान के अनुच्छेद 176 के तहत यह आवश्यक है कि पहले सत्र का आरंभ राज्यपाल के अभिभाषण से हो। 25 अक्टूबर को बुलाए गए इस पहले सत्र में ऐसा नहीं हुआ, जिससे अब यह सवाल उठ रहा है कि अभिभाषण कब और क्यों नहीं हुआ।

हरियाणा विधानसभा के पहले सत्र में टूटी परंपरा

संविधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन?

हरियाणा विधानसभा के पहले सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण न कराना एक अहम संवैधानिक सवाल खड़ा करता है। सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते समय यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अभिभाषण क्यों नहीं हुआ और उसे कब आयोजित किया जाएगा।

भविष्य में कब होगा राज्यपाल का अभिभाषण?

विधानसभा का सत्रावसान राज्यपाल द्वारा नहीं किया गया है, जिससे विधानसभा अध्यक्ष भविष्य में किसी भी तिथि को मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर सदन बुला सकते हैं। ऐसे में अभिभाषण की संभावना अभी भी बनी हुई है।

अभिभाषण की परंपरा का संदर्भ

अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार, हरियाणा विधानसभा के पिछले सत्रों में भी राज्यपाल का अभिभाषण सदन की शुरुआत में हुआ करता था। उदाहरण के लिए, 2019 और 2014 में पहले सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण किया गया था, जिससे सदन की कार्यवाही को औपचारिक रूप से शुरू किया गया।

एक दिन के सत्र में भी हुआ अभिभाषण

2009 में, केवल एक दिन के सत्र में भी राज्यपाल का अभिभाषण हुआ था, जिसमें मुख्यमंत्री ने विश्वास मत हासिल कर सदन को स्थगित किया था।

शपथ ग्रहण के दौरान हुई चूक का मुद्दा

पहले सत्र में विधायकों को शपथ दिलाने के दौरान हुई चूक पर भी सवाल उठे हैं। हेमंत कुमार ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष अधिकारियों को ज्ञापन भेजा है। शपथ के दौरान विधायकों को ऐसा प्रारूप दिया गया था, जिसमें ईश्वर की शपथ और सत्यनिष्ठा का प्रतिज्ञान दोनों शामिल थे, जबकि संविधान के अनुसार इनमें से किसी एक को चुनना होता है।