हरियाणा में सत्ता की चाबी किसके हाथ होगी, यह तय करने में हिसार की अहम भूमिका है। 2004 में कांग्रेस ने यहां से छह सीटें जीती थीं, जबकि 2009 में यह संख्या चार रही। 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर दो सीटों से खाता खोला, जबकि 2019 में अपने स्कोर को तीन तक बढ़ा लिया। इस बार भी सभी प्रमुख दलों के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है, जिसमें हिसार की सीटें निर्णायक साबित हो सकती हैं।
भाजपा और जजपा की चुनौती
हिसार की सात विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा का कब्जा है, और वह इस संख्या को बढ़ाने की कोशिश में जुटी है। वहीं, जजपा को अपनी तीन सीटों को बरकरार रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, कांग्रेस, जो पिछली बार शून्य पर थी, अब अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए मेहनत कर रही है। इस बार चुनावी जंग में आम आदमी पार्टी और इनेलो भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि किसान संगठनों ने भी चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है।
2019 का चुनावी परिदृश्य
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने हिसार, हांसी, और नलवा से सीटें जीती थीं, जबकि जजपा ने नारनौंद, बरवाला और उकलाना पर कब्जा जमाया था। कांग्रेस की ओर से सिर्फ आदमपुर की सीट जीती गई थी, जो बाद में भाजपा के खाते में चली गई। अब हिसार की सात सीटों में से चार पर भाजपा का और तीन पर जजपा का कब्जा है, जबकि कांग्रेस को इस बार शून्य से शुरुआत करनी होगी।
लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ीं
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के लिए माहौल थोड़ा अनुकूल नजर आ रहा है। 15 साल बाद कांग्रेस ने हिसार लोकसभा सीट जीतकर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है। हालांकि, अभी तक किसी भी दल ने विधानसभा उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। भाजपा की सूची सबसे पहले आने की संभावना है, जबकि कांग्रेस में प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर के कारण उसकी सूची सबसे आखिर में आ सकती है।