गांव खेवड़ा में सभी ग्रामीणों ने मिलकर सुमित के मुकाबले को देखा और गर्व से भरे थे। उन्होंने कहा कि सुमित की कमर में थोड़ी तकलीफ थी, लेकिन उन्हें पूरा विश्वास था कि सुमित स्वर्ण पदक जरूर जीतेगा। उन्होंने बेटे के देश लौटने पर भव्य स्वागत करने का वादा किया।
टोक्यो के बाद अब पेरिस पैरालंपिक में भी सोनीपत के खेवड़ा गांव के सुमित आंतिल ने स्वर्ण पदक जीता। जैसे ही सुमित ने लगातार दूसरे पैरालंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया, गांव में जश्न की लहर दौड़ पड़ी। आतिशबाजी और खुशियों के साथ ग्रामीणों ने जश्न मनाया। सुमित की मां, निर्मला देवी, ने कहा कि बेटे ने पदक जीतकर उनके सपनों को साकार किया है।
गांव में मुकाबले के दौरान सुमित के प्रदर्शन को देखने के लिए बड़ी भीड़ जुटी थी। ग्रामीणों का कहना था कि सुमित ने गांव और सोनीपत को गर्व का मौका दिया है। गांव के लोग मिठाइयां बांटकर और नाच-गाकर आधी रात तक जश्न मना रहे थे।
सुमित की प्रेरणादायक कहानी भी कम नहीं है। 2015 में एक हादसे के दौरान उन्होंने अपना एक पैर खो दिया था, लेकिन इसके बावजूद वे कभी निराश नहीं हुए। अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की प्रेरणा से उन्होंने खेलों की ओर रुख किया और कोच विरेंद्र धनखड़ और नवल सिंह के मार्गदर्शन में जैवलिन थ्रो में महारत हासिल की। उनकी इस मेहनत का फल उन्हें टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक के रूप में मिला, जिसे उन्होंने पेरिस में भी दोहराया।