HARYANA VRITANT

अंबाला। औद्योगिक क्षेत्र अंबाला छावनी में चल रही करोड़ों के कारोबार वाली साइंस और दवा की फैक्टरियों के मालिकों को एक बार फिर बाढ़ का खतरा सताने लगा है। पिछले साल करोड़ों के नुकसान के बाद उन्होंने बारिश से पहले ही फैक्ट्रियों के भूतल को खाली करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा बचाव के लिए फैक्टरी के गेटों के आगे ही ऊंची दीवारें बना दी है। किसी ने 4 तो किसी ने 10 फीट तक दीवार बनाकर पानी को रोकने के इंतजाम किए है।

सांकेतिक तस्वीर

कारोबारियों के मुताबिक एक ओर तो टांगरी के उफान पर आने के बाद बाढ़ का डर बना हुआ है तो वहीं आसपास की कॉलोनियों का पानी भी औद्योगिक क्षेत्र के बाहर मार कर रहा है। यदि इसबार भारी बारिश होती है तो दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है। उनका कहना है कि फैक्टरियों को बाढ़ से बचाने के लिए काम देरी से शुरू होने के कारण अब भगवान का ही सहारा है। हालांकि औद्याेगिक क्षेत्र के पास अस्थायी बांध तो बन गया है लेकिन बाकी तीन ओर दीवार बनने का काम अभी अधर में अटका है। जबकि सिंचाई विभाग की तरफ से ऊंचे किए बांध का तो नदी के उफान पर आने के बाद ही पता चलेगा।

टांगरी में पहुंचा मामूली पानी तो लग गया था कर्मचारियों का पहरा

पिछले साल की बर्बादी के बाद कारोबारियों में बरसात के बाहर डर सताने लगता है। टांगरी नदी में आए महज 2 हजार क्यूसिक पानी के बाद ही कारोबारियों ने कर्मचारियों का पहरा लगा दिया था कि पानी बढ़ता है तो वो जो थोड़ा बहुत सामान है तो उसे सुरक्षित करें। दरअसल, पिछले साल रात को ही पानी का जलस्तर बढ़ने के बाद औद्योगिक क्षेत्र डूब गया था। कारोबारियों को अपनी गाड़ियां तक निकालने का समय नहीं लगा था।

सात-सात फीट ऊंचे लोहे के स्टैंड पर रखा सामान

बाढ़ से बचाव के लिए पहले ही तैयारियां शुरू कर दी है। ग्राउंड फ्लोर से अधिकतर सामान को हटा लिया गया है। जो बचा है उसे सात-सात फीट ऊंचे लोहे के एंगल से बने स्टैंड बनाकर रखा है ताकि नुकसान होने से बचाया जा सके। एक ओर टांगरी के पानी का खतरा है तो वहीं पास की कॉलोनियों का पानी भी औद्योगिक क्षेत्र की तरफ ही मार कर रहा है। मुख्य द्वार के आगे अस्थायी बांध तो बना दिया है। इसके बाद भी बिना बारिश के अभी दो-दो फीट गंदा पानी जमा हो गया है।

फैक्टरी के गेट पर खड़ी की 10 फीट ऊंची दीवार

प्रशासन की ओर से बाढ़ से बचाव के लिए होने वाले कार्य के लिए 11 माह तक इंतजार किया कि लेकिन अभी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसलिए खुद ही एक माह पहले उन्होंने अपनी फैक्टरी के गेट पर करीब 40 फीट चौड़ाई व 9 इंच मोटी, 10 फीट ऊंची दीवार बना दी है। मानसून के बाद इसे तोड़ दिया जाएगा। साथ ही सीवरेज के प्वाइंट पर भी बचाव के लिए बंदोबस्त किए है। पिछली बार बाढ़ में एक करोड़ का नुकसान हुआ था लेकिन अभी तक कोई मुआवजा तक नहीं मिला।

दवाओं के सामान को पहली मंजिल पर चढ़ाया

प्रशासन की ओर से कुछ बंदोबस्त तो किए है लेकिन वह पूरे नहीं है। पिछली बाढ़ से सबक लेते हुए दवाओं से जुड़े सामान को पहली मंजिल पर चढ़ा दिया है। जो सामान ग्राउंड फ्लोर है वो सामान भी लोहे के स्टैंड पर रखा है। हालांकि उसने फैक्टरी को पहले ही ऊंचा बनाया हुआ है। बावजूद बाढ़ के खतरे को देखते हुए सामान को ओर ऊंचाई पर रख दिया है।

बाढ़ के बचाव को लेकर अभी इंतजार पूरी नहीं है। इंडस्ट्रियल एरिया के सामने तो अस्थायी बांध बन गया है लेकिन ठेकेदार का काम अभी भी अधूरा है। मौजूदा समय में स्थिति यह है कि भगवान भरोसे हैं। समय रहते इस काम के टेंडर होने चाहिए थे ताकि अभी तक काम पूरा हो जाता। टांगरी उफान पर आती है तो भी कोई खतरा न होता।