HARYANA VRITANT

अंबाला सिटी। सफाई कार्यों का जायजा लेने के लिए परिवहन राज्य मंत्री के प्रतिनिधि रितेश गोयल ने शहर का दौरा किया। शहर के विभिन्न वार्डों में जाकर उन्होंने सफाई व्यवस्था और अधिकारियों की ओर से किए जा रहे दावों को खुद चेक किया। इस दौरान कई इलाके ऐसे भी मिले, जहां नाले गंदगी से भरे पड़े थे और कई जगह तो हालात यह थे कि नालों की गंदगी गलियों तक पहुंच गई थी।

सफाई कार्यों का जायजा लेने के लिए परिवहन राज्य मंत्री के प्रतिनिधि रितेश गोयल ने शहर का दौरा किया।

ऐसे में उन्होंने निगम अधिकारियों को सफाई करवाने के लिए कहा। इसके बाद हरकत में आई निगम की टीमों ने तुरंत सफाई कर्मचारी और मशीनें लगाकर नालों की सफाई शुरू की। इस दौरान शहर के रामबाग में स्थित श्मशान भूमि के नजदीक गंदगी की वजह से डंपिंग जोन बन चुकी खाली पड़ी जमीन से भी कूड़ा उठाने के निर्देश दिए गए।

अधिकतर नालों की सफाई युद्ध स्तर पर चल रही

परिवहन मंत्री असीम गोयल के प्रतिनिधि रितेश गोयल ने बताया कि इस बार अधिकतर नालों की सफाई युद्ध स्तर पर चल रही है। इस बार बरसाती पानी शहर से निकलने की रफ्तार भी बढ़ी है। श्मशान भूमि के नजदीक खाली पड़ी जमीन का सौंदर्यीकरण भी जल्द किया जाएगा। वहीं, कुछ दिन पहले परिवहन राज्य मंत्री असीम गोयल ने नगर निगम, नहरी विभाग, जन स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ शहर का दौरा किया था।

उन्होंने अधिकारियों को गंदगी से भरे पड़े नालों को तुरंत साफ करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद शहर में युद्ध स्तर पर नालों और बड़ी ड्रेनों की सफाई का कार्य शुरू किया गया। इन्हीं सफाई कार्यों का जायजा लेने के लिए आज परिवहन राज्य मंत्री की टीम ने एक बार फिर शहर का दौरा किया।

घरों व दुकानों के बाहर बने रैंप सफाई में बन रहे अवरोधक

निगम की ओर से शहर में नालों की सफाई तेज गति से की जा रही है, लेकिन इस दौरान घरों व दुकानों के बाहर बने थड़े (रैंप) निगम के सफाई अभियान में अवरोधक बन रहे हैं। क्योंकि इन थड़ों के नीचे न तो सफाई कर्मचारी जा सकते हैं और न ही कोई मशीन। ऐसे में शहरवासियों से अपील की गई कि शहर में सफाई का जिम्मा अकेले प्रशासन का नहीं। यह हर आमजन की भी जिम्मेदारी है कि शहर को साफ रखें। प्रतिनिधि रितेश गोयल ने बताया कि शहर से पानी की निकासी के लिए नदी मोहल्ला, अमर पैलेस के नजदीक और सेक्टर-9 में निकासी न होने की ज्यादा समस्या है। इसके समाधान के लिए जनस्वास्थ्य विभाग से डिस्पोजल प्रोजेक्ट पास करवाए हैं। जिनकी अनुमानित लागत 7 करोड़, 4 करोड़ और 3.5 करोड़ है।