हाईकोर्ट ने हरियाणा और पंजाब के अकाउंटेंट जनरल को बैठक कर हल निकालने का आदेश दिया है। हल नहीं निकला तो दोनों को कोर्ट में हाजिर रहना होगा। जिसकी गलती निकली उसे 1 लाख जुर्माना देना होगा।
1965 में पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान शहीद हुए सिपाही की विधवा को फैमिली पेंशन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हरियाणा और पंजाब सरकार पेंशन की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रही हैं। ऐसे में अब 82 साल की विधवा की पेंशन को लेकर हरियाणा व पंजाब के अकाउंटेंट जनरल को बैठक कर जिम्मेदारी तय करने का हाईकोर्ट ने दोनों सरकार को आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए महेंद्रगढ़ निवासी सूरज कौर ने बताया कि उसकी पेंशन से जुड़ी अनियमितताओं के चलते उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को याची के लीगल नोटिस पर निर्णय लेकर 6 सप्ताह में पेंशन राशि जारी करने का आदेश दिया था। इसके बाद अचानक याची के दावे को खारिज कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दाखिल की तो बताया गया कि याची के पति की नियुक्ति से जुड़ा रिकाॅर्ड उनके पास नहीं है। याची के पति की पेंशन पर अंबाला रेंज के अधिकारी ने निर्णय लिया था और ऐसे में पेंशन हरियाणा सरकार दे। हरियाणा सरकार ने कहा कि उनके पास इससे संबंधित रिकाॅर्ड नहीं है और ऐसे में अभी तक पंजाब सरकार पेंशन की राशि का भुगतान कर रही थी और आगे भी उसे करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि एक बुजुर्ग अपने लाभ के लिए भटक रही है और दोनों सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही हैं। हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों के अकाउंटेंट जनरल को बैठक कर इस मामले का हल निकालने का आदेश दिया है।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि जिस राज्य की गलती मिलेगी उसे जुर्माने के रूप में एक लाख रुपये का भुगतान करना होगा। अगर हल नहीं निकला तो दोनों अकाउंटेंट जनरल को कोर्ट में खुद पेश होकर जवाब देना होगा।