Haryana Vritant

भिवानी के नगर परिषद शहर में घूम रहे लावारिस नंदियों की व्यवस्था बनाने के लिए 2018 में नंदीशाला तो बना दी, मगर यहां रहने वाले नंदियों की भूख मिटाने का कोई प्रबंध नहीं हो पाया। सरकार ने भी नंदीशाला में चारे के लिए कोई मदद या बजट नहीं दिया।

जंग लगी व्यवस्था के कारण नगर परिषद की नंदीशाला में 750 गोवंशों का हाल बेहाल है। पहले नंदीशाला में हर रोज 15 से 20 नंदियों की भूख से मौत हो जाती थी। हालांकि अब मृत्यु दर के आंकड़ों में भी काफी कमी आई है। सामाजिक संस्था जेसीआई नौ माह से नगर परिषद की नंदीशाला में रह रहे नंदियों के चारे की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी संभाल रही है। गोशालाओं के पंजीकृत नहीं होने से सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है। नतीजतन गोशाला संचालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
संस्था के 195 सदस्य हर माह उठाते हैं नंदीशाला के चारे का खर्च
इस संस्था के 195 सदस्य हर माह नंदीशाला के चारे का खर्च उठाते हैं। भिवानी नगर परिषद ने शहर में घूम रहे लावारिस नंदियों की व्यवस्था बनाने के लिए 2018 में नंदीशाला तो बना दी, मगर यहां रहने वाले नंदियों की भूख मिटाने का कोई प्रबंध नहीं हो पाया।


मगर, संस्था के 11 सदस्यों की कमेटी ने हर मुश्किल को पार किया। फिलहाल संस्था के 195 सदस्य ऐसे हैं जो कि नंदीशाला के लिए हर माह 1100 रुपये का अनुदान नियमित रूप से देते आ रहे हैं।
नगर परिषद की नंदीशाला में ज्यादातर लावारिस सांड़ हैं, जबकि 100 के करीब लावारिस गाय भी हैं। यहां दुधारू कोई पशु नहीं है। नंदीशाला के पास कोई उपजाऊ जमीन या फिर खुद की आमदनी अर्जित करने का भी कोई जरिया नहीं है।
नंदीशाला में चारे का प्रबंध कराने के संबंध में हमने अभी तक कोई प्रावधान नहीं किया है। सरकार की तरफ से भी इस मद में कोई बजट नहीं आ रहा है। फिलहाल नंदीशाला में नंदियों के चारे की व्यवस्था सामाजिक संस्था व स्वयंसेवी लोग ही करा रहे हैं।

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