पूर्व सेनाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वह ना तो किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं और ना ही हरियाणा में किसी सेक्टर एसोसिएशन से। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टरों में जब चार मंजिला भवन पॉलिसी सामने आई और पार्किंग, सीवरेज और पर्यावरण से लेकर लोगों के साथ लगे भवनों पर खतरा मंडराया तो उन्होंने इस पर संज्ञान लेने के लिए सरकार को पत्र भेजा था।
बात आत्म सम्मान की है और अब मैं हरियाणा सरकार को कोई पत्र नहीं लिखूंगा… देश के सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने यह बात हरियाणा सरकार की चार मंजिला भवन पॉलिसी पर कही है। बातचीत में सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष ने कहा, प्रधानमंत्री को पत्र लिखता हूं तो हां से जवाब आ जाता है। मगर हरियाणा सरकार को जब एक बड़े मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए सितंबर 2022 में पत्र भेजा तो उसका जवाब आज तक नहीं मिला।
बता दें कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टरों में चार मंजिला पॉलिसी को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है। मगर इस मुद्दे पर महाभारत बंद नहीं हुई। दरअसल इस पॉलिसी पर विपक्ष के साथ सता पक्ष के भी कई दिग्गज नाराज है। इधर पूर्व सेनाध्यक्ष ने रविवार को अधिसूचना पर जो कहा है, उससे नई बहस छिड़ गई है।
जाहिर है कि हरियाणा के सेक्टरों में सक्रिय 250 से ज्यादा वेलफेयर एसोसिएशन भी सरकार सरकार को चेताने में लगी है कि जारी की गई अधिसूचना कई बड़े विषयों को गोल किया है। वहीं पूर्व सेनाध्यक्ष का कहना है कि कमेटी कब बनेगी? इसकी जानकारी अधिसूचना में नहीं है। जिन भवनों को क्षति पहुंच चुकी है, इसके जिम्मेदार लोगों पर आगामी क्या कार्रवाई होगी ? इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कमेटी में कितने सदस्यों होंगे और बाहर से भी होंगे या नहीं? इस पर कोई जानकारी नहीं है।
क्या इस विषय में सरकार को पत्र लिखा है?
इस पर पूर्व सेनाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वह ना तो किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं और ना ही हरियाणा में किसी सेक्टर एसोसिएशन से। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टरों में जब चार मंजिला भवन पॉलिसी सामने आई और पार्किंग, सीवरेज और पर्यावरण से लेकर लोगों के साथ लगे भवनों पर खतरा मंडराया तो उन्होंने इस पर संज्ञान लेने के लिए सरकार को पत्र भेजा था। इसके बाद उन जैसे हरियाणा के सेक्टर वासी जागरुक लोग इस मुद्दे पर लामबद्ध हुए और उनसे संपर्क किया तो उन्होंने इस विषय पर अपनी राय रखी और इस पॉलिसी का विरोध किया ताकि वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर सरकार और एचएसवीपी को चेताया जा सके।
अब सरकार ने जो निर्णय लिया है वह उसका स्वागत करते हैं मगर इसमें स्पष्टता का अभाव है। जो नोटिफिकेशन जारी हुआ है उसमें साफ लिखा है की जिन्हें मंजूरी मिल चुकी है, उन पर रोक के लिए जारी की गई अधिसूचना प्रभावी नहीं होगी। वह और प्रदेश के लोग यह जानता चाहते हैं कि जहां निर्माण हो चुका है, वहां तो ठीक है। मगर जहां निर्माण शुरु नहीं हुआ है, वहां यह आदेश प्रभावी क्यों नहीं है? इस पर हरियाणा सरकार की ओर स्पष्ट होना चाहिए। क्या आपने इस विषय में सरकार को की पत्र भेजा है। इस पर उन्होंने कहा कि वह नहीं लिखेंगे।
10 मार्च नहीं बनी कमेटी तो 12 को बैठक
हरियाणा के लगभग सभी सेक्टरों ढाई सौ से ज्यादा वेलफेयर एसोसिएशनें हैं, जो कि हरियाणा स्टेट सेक्टर कॉन्फिगरेशन के अधीन सक्रियता से इस तरह के मुद्दे पहले भी उठाती रही हैं। अब इन एसोसिएशनों ने बैठक कर यह साफ कर दिया है कि सरकार 10 मार्च तक कमेटी का गठन करे। इस कमेटी में जितनी संख्या सरकारी अधिकारियों की होगी, उतनी ही संख्या सेक्टरों रह रहे विशेषज्ञों की हो। अगर 10 तक कमेटी नहीं बनी तो 12 मार्च को पंचकूला में बैठक कर आगामी रणनीति बनेगी।उन्होंने कहा कि जो संगठन और उन जैसे जागरुक लोग इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे हैं, अगर इस पर पारदर्शिता चाहते हैं। साथ ही सरकार ने जो कमेटी बनाने का निर्णय लिया है, उसमें सेवानिवृत्त जज, पर्यावरण और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के सेक्टरों में रहने वाले उन विशेषज्ञों को शामिल करें, जो इसकी बारीकियों पर पहले बनाई गई गई कमेटी की तरह निर्णय नहीं बल्कि जमीनी हकीकत से अवगत कराएंग
सीएम ने दिए थे संकेत
विपक्षी दलों समेत कई भाजपा विधायक भी इस पॉलिसी से संतुष्ट नहीं है। इसे समझते हुए सीएम ने संकेत दिए थे कि इस योजना पर सब कमेटी तमाम पहलुओं का अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट देगी और उन सिफारिशों पर ही अगला फैसला होगा। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा व स्पीकर ने कमेटी की रिपोर्ट तय अवधि देने को कहा था। इस पर सीएम ने सदन को आश्वस्त किया था फैसला जनहित होगा।