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हरियाणा स्कूल लेक्चर्स यूनियन (हसला) के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंधु के मुताबिक यहां खामी शिक्षकों की नहीं है, यह लापरवाही निदेशालय स्तर पर हुई। शिक्षकों के ई-पोस्टिंग डाटा को समय रहते निदेशालय ने वित्त विभाग को नहीं भेजा।

HRMS पोर्टल पर सरकारी कर्मचारियों का डाटा अपडेट नहीं होने पर कई विभागों के स्टाफ का वेतन रुक गया है, जबकि हजारों की संख्या में शिक्षक भी शामिल है। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि यह निदेशालय और अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है। बैंक लोन की किश्तें टूटने से इसके जुर्माने का भुगतान शिक्षकों को करना पड़ रहा है। आरोप है कि जब सरकार की ओर से बार-बार एचआरएमएस में सारा डाटा अपलोड करने के आदेश दिए थे तो कर्मचारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसी वजह से सभी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया। इनमें सबसे ज्यादा कर्मचारी शिक्षा विभाग के हैं।

हरियाणा स्कूल लेक्चर्स यूनियन (हसला) के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंधु के मुताबिक यहां खामी शिक्षकों की नहीं है, यह लापरवाही निदेशालय स्तर पर हुई। शिक्षकों के ई-पोस्टिंग डाटा को समय रहते निदेशालय ने वित्त विभाग को नहीं भेजा। इसी के परिणामस्वरूप लगातार दो माह से सभी शिक्षक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग के समय देने के बावजूद निदेशालय ने समय पर आंकड़ों को दुरुस्त करके जमा नहीं कराया।

निदेशालय को चाहिए कि सबसे पहले वेतन जारी करने के लिए भरसक प्रयास करे, नहीं तो परीक्षाओं के दिनों में शिक्षकों को सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा। राजकीय अध्यापक संघ (70) प्रदेशाध्यक्ष मनोज सहरावत और राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ (421) के प्रदेशाध्यक्ष जगजीत सिंह ने इस लापरवाही पर शिक्षा निदेशालय की निंदा की।

उन्होंने कहा कि पिछले माह भी शिक्षा मंत्री ने यह कह काम चलाया था कि राज्य के कुछ अधिकारी जानबूझ कर सरकार को बदनाम करने और सरकार को कर्मचारी विरोधी दिखाने के लिए इस तरह के कदम उठा रहे है। प्रदेशाध्यक्ष के मुताबिक शिक्षा मंत्री के इस बयान के कुछ दिन बाद शिक्षकों को वेतन जारी हुआ था। वहीं, शिक्षा विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि सेकेंडरी और एलिमेंटरी का ईपीएस एक साथ जारी हो गया था, इसकी वजह से वेतन रुका है, जिसे जल्द जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सेकंडरी के शिक्षकों की सैलरी बन रही है, जबकि अन्य शिक्षकों का वेतन सोमवार तक जारी होगा।

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